Ladli Behna Yojana 2024: विवादों में घिरी मध्यप्रदेश सरकार की योजना, जानिए पूरा मामला

Ladli Behna Yojana: मध्यप्रदेश सरकार की लाड़ली बहना योजना हाल ही में विवादों में घिरी हुई है। इस योजना के तहत सरकार महिलाओं को हर महीने वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों में नाराजगी देखने को मिल रही है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें पिछले 9 महीनों से महंगाई भत्ता (डीए) नहीं मिला है, जबकि सरकार इस योजना पर हर महीने भारी खर्च कर रही है।Ladli Behna Yojana

Ladli Behna Yojana पर कर्मचारियों की नाराजगी का कारण

लाड़ली बहना योजना की वजह से सरकारी कर्मचारी नाराज हैं। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें 9 महीने से महंगाई भत्ता नहीं दिया गया है। प्रदेश में करीब 12 लाख कर्मचारी हैं, जिनमें कार्यरत और सेवानिवृत्त दोनों शामिल हैं। इन कर्मचारियों को 4% महंगाई भत्ता और महंगाई राहत 9 महीने से नहीं मिल पाई है। इस मुद्दे को तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने उठाया। उन्होंने बताया कि डीए के लिए हर महीने करीब 250 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।

कर्मचारियों का कहना है कि त्योहारों का समय करीब है और ऐसे समय में महंगाई भत्ते का न मिलना उनके लिए आर्थिक रूप से बेहद कठिन साबित हो रहा है। खासकर जब सरकार लाड़ली बहना योजना के तहत हर महीने 1574 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

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लाड़ली बहना योजना के तहत मिल रही सहायता

मध्यप्रदेश सरकार लाड़ली बहना योजना के तहत प्रदेश की महिलाओं को 1250 रुपए प्रति माह की वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीना में घोषणा की थी कि भविष्य में महिलाओं को 5000 रुपए प्रति माह देने की योजना है। इसका स्वागत किया गया, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार उनके लिए भी ध्यान दे और उन्हें महंगाई भत्ते से वंचित न किया जाए।

कर्मचारियों की मांग

सरकारी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से अपील की है कि त्योहारों के मौसम को ध्यान में रखते हुए उन्हें 9 महीने से लंबित 4% महंगाई भत्ता प्रदान किया जाए। इसके साथ ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी महंगाई राहत दी जाए ताकि वे आर्थिक समस्याओं से बच सकें। कर्मचारियों का मानना है कि सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए, ताकि उनका आर्थिक संकट कम हो सके।

निष्कर्ष

मध्यप्रदेश सरकार की लाड़ली बहना योजना महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों की नाराजगी भी एक गंभीर मुद्दा बन गया है। सरकार को इस असंतोष को दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि कर्मचारियों और महिलाओं दोनों के हितों का संतुलन बना रहे।

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