प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ छोटे और पारंपरिक कारीगरों के लिए एक बड़ी राहत बनकर सामने आई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन कारीगरों को आर्थिक मदद और प्रशिक्षण प्रदान करना है, जो अपने हस्तशिल्प और छोटे व्यापार के माध्यम से अपनी जीविका चलाते हैं। बिहार के गया, पटना, और मुजफ्फरपुर के कारीगरों ने इस योजना के लाभों को सराहा है, क्योंकि इससे उन्हें न सिर्फ आर्थिक मदद मिली है, बल्कि अपने काम को बेहतर तरीके से करने के लिए प्रशिक्षण भी प्राप्त हुआ है।
PM Vishwakarma Yojana: गया, पटना और मुजफ्फरपुर के कारीगरों की राय
गया जिले के धीरज कुमार, जो पत्थर और लकड़ी से मूर्तियाँ बनाते हैं, ने बताया कि पहले उन्हें अपने काम को सीमित साधनों के साथ करना पड़ता था। आर्थिक कठिनाइयों के कारण वे अपनी कला को उतने अच्छे से नहीं कर पाते थे, जितना वे कर सकते थे। लेकिन पीएम विश्वकर्मा योजना ने उनके काम को नई दिशा दी है। इस योजना के तहत उन्हें लोन मिला, जिससे वह अपने काम का विस्तार कर सके।
मुजफ्फरपुर के लखिंदर सिंह ठाकुर, जो नाई का काम करते हैं, का कहना है कि इस योजना के कारण वह कम पूंजी में अपना व्यापार बढ़ा पाए हैं। पहले की सरकारों में इस तरह की योजनाओं का लाभ नहीं मिलता था, लेकिन पीएम विश्वकर्मा योजना ने छोटे व्यापारियों और कारीगरों के लिए एक नयी उम्मीद पैदा की है।
दानापुर के कारीगर सच्चा लाल यादव, जो लकड़ी के कारीगर हैं, ने भी इस योजना की तारीफ की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार से लोन मिलता है, तो वह अपने काम को और भी आगे बढ़ा सकते हैं।
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मालीराम भगत का अनुभव
मालीराम भगत, जो फूलों की माला बनाने का काम करते हैं, ने भी इस योजना के प्रति अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत न सिर्फ उन्हें लोन मिला, बल्कि उनके काम को नए स्तर पर ले जाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि पहले इस तरह की योजनाओं का अभाव था, लेकिन अब पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत कारीगरों को आर्थिक मदद और प्रशिक्षण मिल रहा है, जिससे उनके काम में निखार आ रहा है।
पीएम विश्वकर्मा योजना के प्रमुख बिंदु
पीएम विश्वकर्मा योजना छोटे कारीगरों, शिल्पकारों और हस्तशिल्प व्यापारियों के लिए एक बड़ी सौगात है। इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन फ्री है और कारीगरों को पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट और आईडी कार्ड भी दिया जाता है। योजना का लाभ उठाने के लिए कारीगरों को पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होता है।
इस योजना के तहत कारीगरों को न सिर्फ प्रशिक्षण दिया जाता है, बल्कि उन्हें 15,000 रुपये का अनुदान भी औजार खरीदने के लिए प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही, उन्हें 5% ब्याज दर पर 1 लाख रुपये का लोन और जरूरत पड़ने पर दूसरी किस्त में 2 लाख रुपये तक का लोन भी मिलता है।
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PM Vishwakarma Yojana 2024 में आवेदन कैसे करें?
पीएम विश्वकर्मा योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया भी बेहद सरल है। कारीगर pmvishwakarma.gov.in वेबसाइट पर जाकर अपने मोबाइल नंबर और आधार कार्ड का उपयोग कर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के बाद उन्हें डिजिटल आईडी और पीएम विश्वकर्मा सर्टिफिकेट प्राप्त होगा, जिसे वे डाउनलोड कर सकते हैं।
आवेदन के चरण:
- रजिस्ट्रेशन: सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर रजिस्टर करें।
- सत्यापन: मोबाइल नंबर और आधार कार्ड के जरिए ओटीपी सत्यापन करें।
- फॉर्म भरें: अपनी व्यक्तिगत और व्यापारिक जानकारी के साथ फॉर्म भरें।
- सर्टिफिकेट डाउनलोड: सत्यापन के बाद डिजिटल आईडी और सर्टिफिकेट प्राप्त करें।
- लॉगिन और आवेदन: अपने क्रेडेंशियल का उपयोग करके पोर्टल पर लॉगिन करें और योजना के तहत उपलब्ध विभिन्न कंपोनेंट्स के लिए आवेदन करें।
- डॉक्यूमेंट अपलोड: आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें।
- सत्यापन और लोन: आवेदन जमा करने के बाद अधिकारी द्वारा सत्यापन किया जाएगा, जिसके बाद आप लोन के लिए पात्र होंगे।
पीएम विश्वकर्मा योजना ऑनलाइन फॉर्म भरना शुरू
PM Vishwakarma Yojana योजना के लाभ
पीएम विश्वकर्मा योजना न सिर्फ आर्थिक मदद प्रदान करती है, बल्कि कारीगरों के काम में नयापन और विकास के अवसर भी देती है। इस योजना से बिहार के हजारों कारीगरों को फायदा हो रहा है, और यह उनके जीवन में एक नई उम्मीद की किरण लेकर आई है।
कुल मिलाकर, पीएम विश्वकर्मा योजना ने छोटे व्यापारियों और कारीगरों के लिए न सिर्फ आर्थिक सहायता का प्रबंध किया है, बल्कि उन्हें अपने काम में बेहतर करने के लिए प्रेरित भी किया है। इस योजना से लाभान्वित होकर कारीगर अपने व्यापार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सक्षम हो रहे हैं।
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PM Vishwakarma Yojana के अंतर्गत अन्य राज्यों का अनुभव?
उत्तर प्रदेश के कारीगरों का अनुभव
उत्तर प्रदेश के वाराणसी, कानपुर और लखनऊ के कारीगरों ने भी पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत मिलने वाले लोन और प्रशिक्षण का लाभ उठाया है। वाराणसी के कांच और लकड़ी के कारीगर, जो पारंपरिक रूप से हाथ से बने सामान बनाते हैं, ने बताया कि पहले उन्हें अपने काम को बढ़ाने के लिए पूंजी की कमी महसूस होती थी, लेकिन इस योजना ने उन्हें कम ब्याज दर पर लोन की सुविधा दी है। इसके साथ ही उन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए भी प्रशिक्षण मिला है, जिससे उनका व्यापार बेहतर हुआ है।
राजस्थान के हस्तशिल्पकारों की राय
राजस्थान के जयपुर और उदयपुर के हस्तशिल्पकार, जो धातु के बर्तन और आभूषण बनाने के काम में लगे हैं, ने पीएम विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत मिलने वाले आर्थिक सहयोग का भरपूर लाभ उठाया है। जयपुर के प्रसिद्ध आभूषण कारीगर रमेश चौधरी ने बताया कि इस योजना से उन्हें न केवल वित्तीय सहायता मिली है, बल्कि बाजार में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का मौका भी मिला है। इसके साथ ही, उन्हें डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन बिक्री के तरीकों के बारे में भी जानकारी दी गई है, जिससे उनके उत्पाद अब देशभर में बिक रहे हैं।
गुजरात के कारीगरों का अनुभव
गुजरात के सूरत और अहमदाबाद के कपड़ा और कढ़ाई उद्योग में काम करने वाले कारीगरों ने भी पीएम विश्वकर्मा योजना का भरपूर लाभ उठाया है। सूरत के एक कपड़ा कारीगर मनीष पटेल ने कहा कि पहले उन्हें अपना व्यापार चलाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, लेकिन इस योजना से मिले लोन और प्रशिक्षण ने उनके काम को न सिर्फ बढ़ाया, बल्कि नए बाजारों तक पहुंचने में भी मदद की है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें नए डिजाइनों और तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई, जिससे उनका काम और भी उन्नत हुआ है।
तमिलनाडु के कारीगरों की प्रतिक्रिया
तमिलनाडु के चेन्नई और मदुरै के हस्तशिल्प कारीगर, जो पारंपरिक रूप से हस्तनिर्मित कपड़े और सजावटी सामान बनाते हैं, ने भी इस योजना के माध्यम से अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाया है। चेन्नई के एक कारीगर रवि कुमार ने बताया कि पहले उन्हें अपने उत्पादों को बाजार तक पहुँचाने में कठिनाइयाँ होती थीं, लेकिन अब डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से वह अपने उत्पाद ऑनलाइन बेच सकते हैं। इस योजना के तहत उन्हें न सिर्फ लोन मिला, बल्कि व्यापार को बढ़ाने के लिए नए-नए तकनीकी सुझाव भी मिले हैं।
अन्य राज्यों का योगदान
पीएम विश्वकर्मा योजना का प्रभाव सिर्फ इन राज्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे भारत में इस योजना का विस्तार हो रहा है। हरियाणा, पंजाब, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के कारीगर भी इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। यह योजना सभी राज्यों के कारीगरों को समान अवसर और सुविधाएं प्रदान कर रही है, जिससे वे अपने व्यापार को बढ़ा सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।
कुल मिलाकर, पीएम विश्वकर्मा योजना ने न सिर्फ बिहार बल्कि अन्य राज्यों के कारीगरों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाए हैं। इस योजना के माध्यम से उन्हें अपनी पारंपरिक कला को बढ़ावा देने और आर्थिक रूप से सशक्त बनने का सुनहरा मौका मिला है।